रास्ते तो हैं मगर दुश्वारियां बहुत हैं
इश्क़ की राह मे रूसवाईयां बहुत हैं
बड़े हो गए उड़ गए सब परिंदे
घर मे मेरे अब तन्हाईयाँ बहुत है
ज़माने की जुबाँ pe ज़हर रख गया कोई
लोगों की बातों मे तल्खीयां बहुत है
सुनते रहो मुझे राह कट जाएगी
सुनाने को मेरे पास कहानियां बहुत हैं
मुकेश इलाहाबादी,,,,,,,,,
इश्क़ की राह मे रूसवाईयां बहुत हैं
बड़े हो गए उड़ गए सब परिंदे
घर मे मेरे अब तन्हाईयाँ बहुत है
ज़माने की जुबाँ pe ज़हर रख गया कोई
लोगों की बातों मे तल्खीयां बहुत है
सुनते रहो मुझे राह कट जाएगी
सुनाने को मेरे पास कहानियां बहुत हैं
मुकेश इलाहाबादी,,,,,,,,,