एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Friday, 22 September 2023
एकांत एक नदी है
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एकांत एक नदी है जिसमे मै पड़ा रहना चाहता हूँ किसी मगरमछ की तरह या फिर बहता रहना चाहता हूँ, चुपचाप, किसी टूटे पेड़ के तने या लट्ठे जैसा या ...
धूप
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धूप आवाज़ लगाकर, या कुंडी खटखटाकर नही आती धूप तो बस, चुपचाप आसमान से उतर कर बिछ जाती है, घर की छत पे बाल्कनी मे, बरामदों मे, आंगन मे ओसारे...
मै धूसर रँग
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मै धूसर रँग जिसे समुन्द् सा हरा आसमान सा आसमानी धरती सा धानी बनाना चाहता हूंँ हे प्रकृति तुम मुझे हजार हजार रँग दो ताकि रंग बिरंगी चुनरी ब...
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नदी किनारे बगल में बैठते ही उसने, पहले तो अपने बांये हाथ की उँगलियों को मेरे दाहिने हाथ की उँगलियों में उलझाया काँधे पे सिर रखा दूर सूरज ...
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