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Sunday, 6 October 2019

फूलों की बात

ये,
सच है।
ख़ुदा की क़ायनात में सब कुछ बहुत - बहुत खूबसूरत है।
लेकिन फूलों की बात
बिलकुल अलहदा।
इंसान कितना भी थका हो
परेशान हो फूलों की संगत में आते ही
फूलों की रंगत
फूलों की खुशबू
फूलों की नज़ाकत
इंसान को ताज़ा दम कर देती है
इक खुशी इक ऊर्जा से लबरेज़ कर देती है
और शायद यही वजह है
हर मज़हब में
हर इबादत में
हर खुशी में
हर रंजो ग़म में फूलों को इस्तेमाल किया जाता है
लेकिन फूल कितना ही खूबसूरत हो
कितना ही खुशबू से लबरेज़ हो
उसकी ज़िंदगी की मियाद बहुत थोड़ी होती है
इसी लिए हर बात पूजा में इबादत में इंसान को
नए नए और ताज़े फूलों की ज़रूरत होती है
लेकिन
"ईश्क़" एक ऐसा फूल है
जो अगर इंसान की ज़िंदगी में खिल गया
तो फिर ताज़िंदगी नहीं मुरझाता
जिसकी खुशबू
ताज़गी
ताज़िंदगी क़ायम रहती है
ये और बात
वक़्त की धूप 
और ज़िंदगी में तूफ़ान में मुरझा जाए
लेकिन
थोड़ी भी अनुकूल हवा पानी और धूप मिली नही
कि ये ईश्क़ का फूल फिर से
खिल जाता है
महमहने लगता है
थके से थके
ग़मज़दा से ग़मज़दा इंसान में फिर से
जीने की तमन्ना पैदा कर देता है
सुमी ! ऐसा ही एक
खूबसूरत हो तुम
मेरी ज़िंदगी में
जिसकी खुशबू - ख़ूबसूरती और रंगत
मुझे कैसे भी हालातों में जीने का हौसला देती आये है
और देती रहेगी
लिहाज़ा मेरी ज़िंदगी की खुशबू
मेरी ज़िंदगी की रंगत
मेरी ज़िंदगी की ख़ूबसूरती बस तुम
मेरे साथ साथ बनी रहना
ज़िंदगी के हमसफ़र की तरह न सही
यादो के राहों में हमेशा खिली रहंना
ख़ुदा के इक खूबसूरत और नायब तोहफे की तरह
महमहाती रहना ज़िंदगी की रातों में
किसी रातरानी सा
सुबह गुलाब सा
और साँझ बेला चमेली सा

ओ ! मेरी सुमी सुन रही हो न ?
मेरी खुशबू मेरे फूल.

मुकेश इलाहाबादी ,,,,,,,,,