एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Friday, 17 February 2012
दरिया ए मुहब्बत में
बैठे ठाले की तरंग ------------
दरिया ए मुहब्बत में बहता रहा बदन
इश्क की आग में जल कुंदन हुआ बदन
हिज्र के इज़्तिराब में तपता रहा बदन
कि, रात मेरा यार आया कुंदन हुआ बदन
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
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