एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 19 March 2012
दोस्त, ये तो नसीब नसीब की बात है
बैठे ठाले की तरंग --------------------
दोस्त, ये तो नसीब नसीब की बात है
मिली है तुझे वफ़ा और मुझे बेवफाई
गर मानता है तू ,है ये खुदा का करम
तब तो खुदा की भी अज़ब है खुदाई
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
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