देख तमाशा, दुनिया का
'गुरु पेड के नीचे ध्यान लगा के बैठा है। चेला पंखा झल रहा है’
दोनो दूर किसी औरत के रोने की आवज अनकते हैं ’
गुरु चेला लगता है कोई रो रहा है ?
चेला ‘कान आवाज की तरफ करके’ लगता तो मूझे भी है।
गुरु देख तो कौन दुखी आत्मा है। उस यहां ले के आ।
चेला मने दुकान पे ?
गुरु अबे आश्रम बोल आश्रम।
चेला जो गुरदेव।
‘चेला आवज की तरफ जाता है। वहां एक औरत रोती बैठी है। वह चेले को अपनी तरफ आते देख और जोर जोर से
रोने लगती है’
चेला औरत तू कौन है ?
औरत ‘आंसू पोंछते हुए’ दुखियारी हूं साधू महराज।
चेला वो तो तेरे को देख के ही लगता है। अच्छा बता तू रो क्यों रही है ?
औरत ‘सुबुकते हुए’ मेरे मरद ने द्यर से निकाल दिया।
चेला तैने उल्टी सीधी माग की होगी।
औरत नही महराज
चेला तो तूने उसका कहा न किया होगा।
औरत यह बात भी नही
चेला तो फिर बदचलनी की वजह होगी ?
औरत नही
चेला तो फिर ?
औरत मरद कहता है मै बांझ हूं
चेला ऐसा काए कू बोला।
औरत शादी के चार बर्ष हो गये अभी बच्चा नही जन पायी।
चेला एसा कर तू मेरे साथ चल मेरे एक गुरु महाराज हैं। उनके पास हर समस्या का हल है। बहुत सिद्ध पुरुष हैं। उन्हे पेड
के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ है।
औरत वह कहां मिलेंगे ?
चेला वही पेड के नीचे उनका आश्रम है। आ चल।
‘औरत आंसू पोंछ के चेला के पीछे पीछे चल देती है।’
‘गुरु को दोनो को आते देख ध्यान का बहाना बना लेता है।’
चेला जय हो गुरु महाराज की
गुरु ‘आर्षिवाद की मुद्रा मे’ बोलो बच्चा
चेला क्या हुआ बच्चा
चेला इस दुखियारिन को इसके मरद ने द्यर से निकाल दिया।
गुरु तो मुझसे क्या चाहती है ?
चेला आपका आर्षिवाद महराज।
‘गुरु औरत को गौर से देख कर’
गुरु तेरी शादी को कितन बखत हो गया ?
औरत चार साल महराज
गुरु और अभी तक कोख नही भरी
औरत नही महराज
गुरु तूने किसी डाक्टर हकीम को दिखाया।
औरत नही महराज
गुरु अल्ट्रासाउंड वगैरह कराया
औरत नही महराज
गुरु और तेरे मरद ने
औरत पता नही महराज
गुरु तो वह कैसे कह सकता है तू बांझ है
औरत पता नही महराज
गुरु ‘अपनी आसनी से एक पुडिया निकाल कर देता है।’ अच्छा ऐसा कर यह पुडिया ले जा और उपर वाले का नाम लेकर
खालेना। और डाक्टर को जरुर दिखा लेना। उपर वाला जरुर तेरी इच्छा पूरी करेगा। वह बडा दयालू है।
‘औरत गुरु का पैर छे के आर्षिवाद ले के जाती है। चेला उसे बाहर तक छोडने आता है।चेला औरत से’
चेला देख इस पुडिया से फायदा जरुर होगा। और अगर न होतो फिर
आ जाना। गुरु से झाड फूंक करा दूंगा जरुर फायदा होगा।
‘औरत जाती है।’
चेला ‘बाहर से आते आते’ गुरु एक और भक्त आया है।
गुरु कौन है।
चेला एक यूवक है महराज
गुरु बुलाओ
‘यूवक आ कर प्रणाम कर के खडा होता है।’
गुरु बोलो बच्चा
यूवक महराज एमे बीए पढ लिया पर अभी तक किसी धंधा पानी से नही लग पाया हूं। कोई रास्ता आप ही सुझाइये। उम्मीद
से आया हूं।
गुरु तू झगडा फसाद करवा सकता है
यूवक नही महराज
गुरु झूठ फरेब जानता है
यूवक नही महराज
गुरु चापलूसी या चमचागिरी जानता है
यूवक नही महराज
गुरु अंग्रेजी फंग्रेजी जानता है।
यूवक नही महराज
गुरु तो एसा कर। सबसे पहले किसी पर्सनालिटी डेवलपमेंट कोर्स ज्ववाइन कर। आज कल जगह जगह इसकी
दुकान खुल गयी है। सुना है कुछ हमारे जैसे गुरु भी यही सब सिखा रहे हैं
चेला अगर नही हो तो हमारे यहां आ जाना यहां भी यह सब सिखाया जाता है।
‘यूवक भी प्रणाम करके जाता है। चेला छेाडने जाता है’
‘चेला आकर।’
चेला गुरु एक और भक्त आया है।
गुरु उसे भी जल्दी भेजो मेरे ध्यान का बखत हो रहा है
‘एक मरियल सा आदमी आता है।’
गुरु कोन जात हो भाई
आदमी जी जी महाराज
गुरु जी जी मने
आदमी मने गरीब गुरबा महराज
चेला तो तू महाराज के इतने करीब क्यों जा रहा है। थेाडा दूर से बात कर।
गुरु रहने दे रहने दे हमारे यहां सभी बराबर हैं।
गुरु बता तेरी क्य समस्या है।
आदमी गरीबी और षोषण महाराज
गुरु अच्छा।
आदमी हां महराज कोई उपाये बतायें
गुरु ऐसा कर तू चुनाव मे खडा होजा।
आदमी महराज उसके लिये भी तो धन और बल चाहिये। और वही तो हमारी समस्या है।
चेला तू चिंता क्यू करता है गुरु का आर्षिवाद है तो तेरे को सब कुछ मिलजायेगा। बस तू चुनाव की तैयारी कर।
‘आदमी खुषी खुशी जाता है। गुरु ध्यान के लिये आख बंद कर लेता है। चेला पंखा झलता है।’
‘फेड आउट के बाद नट नटी का प्रवेष दोनो सूफियाना अंदाज मे गाते है’
नटी अपढ मदारी बना है ज्ञानी
नट देख तमाषा दुनिया का
नटी दुनिया का भई दुनिया का
नट देख तमाषा दुनिया का
नटी अपढ मदारी बना है ज्ञानी
नट देख तमाषा दुनिया का
नटी दुनिया का भई दुनिया का
‘दोनो का प्रस्थान’
‘पेड के नीचे वही द्रष्य।ज्ञानी ध्यानमग्न है पर इस बार औरत महाराज का पंखा झल रही है। और चेला पैर दबा रहा
है।’‘चेला बाहर देख कर’
चेला गुरु नेता जी आये हैं।
गुरु बुलाओ। ‘गुरु एकांत का इशारा करता है। औरत बाहर जाती है। नेता का प्रवेष।’
‘नेता को प्रवेष वह भी पैर छूकर आर्षिवाद लेकर बगल मे बैठ जाता है’
गुरु ‘मूस्कुराते हुये।’ बोला बच्चा।
नेता कुछ नही महाराज दाल रोटी चल रही है। बस आपकी क्रपा और आर्षिवाद बना रहे।
गुरु वह तो बना ही है।
नेता ‘हांथ जोडे जोडे’ महाराज इस बार आर्षिवाद कुछ कम दिख रहा है।
गुरु तुम्हारा आचरण कुछ बिगड रहा था। इसलिये थोडी ताडना जरुरी थी।
नेता ‘द्यिद्यियाते से’ ऐसा न करें महाराज कोई गलती हुयी हो तो माफ करें।
‘गुरु रहते हैं’
नेता महराज सेवा मे कोई कमी हो तो बतायें। जो आप चाहें वही होगा। इषारा तो करें।
गुरु तो जो हो रहा है होने दो
नेता ‘रुआंसा होकर’ महराज ऐसा नकरें। बरबाद हो जाउंगा। मर जाउंगा। बीबी बच्चे अनाथ हो जायेंगे।
गुरु तूमने भी तो बहुतो को अनाथ किया है सताया है। जैसी करनी वैसी भरनी। यह तो भगवान का नियम है। उसमे मै और
तुम क्या कर सकते हैं।
नेता महराज। आप सर्व सर्मथ हैं। आप सब कुछ कर सकते हैं। आप सिद्ध पुरुष हैं।
गुरु साफ साफ बोलो क्या चाहते हो।
नेता महराज। बस आप उस जी जी को चुनाव से हट जाने के लिय कहदे। मुझे मालुम है वह भी आपही का चेला है।
गुरु वह नही हो सकता तुमने उसको बहुत सताया है।
नेता महराज एक बार मौका तो दें उसे भी खुष कर दूंगा। सात पुष्तो की गरीबी दूर हो जायेगी।
गुरु कैसे ?
नेता ‘थोडा उम्मीद पा के चहकता है।’ महाराज चुनाव जीतने ही उसे भी किसी कमेटी का चेयर मैन वगैरह बनवा दूंगा। या
किसी और सीट से लडवा दूंगा।
‘ गुरु अर्थ पूर्ण ढंग से मुस्कुराता है। और आर्षिवाद की मुदा्रमे हाथ उठाता है।’
नेता ‘एक बीफकेष रखते हुए।’ महाराज कुछ नही आप के आश्रम के भक्तों के लिये थोड प्रसाद हैं।
‘गुरु मुस्कुराता रहता है। नेता पैर छूकर खुषी खुषी बाहर जाता है।’
‘इस बार सिर्फ गुरु और चेला मंच पर रहते हैं।’
‘पदमासन की मुदा्र मे ही’ चेला
गुरु ‘झुक कर’ धंधा पानी ठीक चल रहा है
चेला बिलकुल ठीक महराज
गुरु चंदा चढावा आ रहा है?
चेला उम्मीद से ज्यादा महराज
गुरु भक्त गण खुष हैं
चेला बहुत ज्यादा महाराज
गुरु और कुछ ?
चेला बस इसी तरह आपकी दया बनी रहे
‘गुरु मुस्कुराकर ध्यानस्थ् हो जाता है’
‘चेला उसके चरणों को पखरता है और गाता है।’
चेला गुरुर ब्रम्हा गुरुर विष्णू गरुर देवो महेष्वरह
गुरुर साक्षात परंब्रम्ह तस्मे श्रीगुरुवे नमह।
‘दूसरी तरफ से नट और नटी गाते हुए आते हैं।’
नटी अपढ मदारी बना है ज्ञानी
नट देख तमाशा दुनिया का
नटी दुनिया का भई दुनिया का
नट देख तमाशा दुनिया का
नटी अपढ मदारी बना है ज्ञानी
नट देख तमाषा दुनिया का
नटी दुनिया का भई दुनिया का
‘दोनो का प्रस्थान और परदा धीरे धीरे गिरता है।’
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