एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
(Move to ...)
Home
▼
Wednesday, 11 April 2012
ज़ख्मो पे मेरे यूँ नमक छिड़कने की ज़रुरत क्या थी
छेड़ छाड़ -------
--------------------------------
ज़ख्मो पे मेरे यूँ नमक छिड़कने की ज़रुरत क्या थी
आपने छू दिया होता, हम खुद ब खुद तड़प गए होते
मुकेश इलाहाबादी ------------------------------
-
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment