एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 30 April 2012
मेरी आखों में कोई समंदर नहीं
बैठे ठाले की तरंग ------------
मेरी आखों में कोई समंदर नहीं
फिर क्यूँ तेरी तस्वीर तैरती है ?
मुकेश इलाहाबादी ---------------
1 comment:
ANULATA RAJ NAIR
1 May 2012 at 00:23
समंदर नहीं झील ही काफी है अक्स देखने के लिए......
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समंदर नहीं झील ही काफी है अक्स देखने के लिए......
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