एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Sunday, 15 April 2012
क़ैद ऐ तन्हाई से निकले तो
बैठे ठाले की तरंग ----------
क़ैद ऐ तन्हाई से निकले तो
ये समझे,कि आज़ाद हैं हम
हमें न थी ये खबर कि, अब
दो आखों में गिरफ्तार हैं हम
मुकेश इलाहाबादी -----------
1 comment:
ANULATA RAJ NAIR
16 April 2012 at 01:48
बहुत बढ़िया................
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बहुत बढ़िया................
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