एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Saturday, 4 August 2012
हम तो साहिल थे
हम तो साहिल थे आज भी उसी जगह हैं
----आप ही लहरों सा आते जाते रहे हैं --
-------मुकेश इलाहाबादी ------
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