एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 19 September 2012
ज़ालिम की मुहब्बत का अंदाज़ निराला है
ज़ालिम की मुहब्बत का अंदाज़ निराला है
ज़माने से खफा होकर, गुस्सा मुझपे निकाला है
मुकेश इलाहाबादी -----------
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