एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Saturday, 22 September 2012
चाँद तो चंचल है तुम उसके साए में क्यूँ बैठी
चाँद तो चंचल है तुम उसके साए में क्यूँ बैठी
मै सूखा शज़र सही तुझे कुछ तो छांव मिलती
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