एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 5 September 2012
हाँ, हम खेलते रहे बाज़ी मुहब्बत की
हाँ, हम खेलते रहे बाज़ी मुहब्बत की
हर बार तुम जीतते रहे हम हारते रहे
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
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