एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 3 September 2012
यादों की कंदील से उजाला दिखाई दे
यादों की कंदील से उजाला दिखाई दे
आती है रोशनी छन छन के,
उसका चेहरा दिखाई दे
मुकेश इलाहाबादी ------------------
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