एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Friday, 14 September 2012
आ फिर एक नया आसमा बना लेते हैं
आ एक नया आसमा बना लेते हैं
फिर मुहब्बत की ज़मी बिछा लेते हैं
वफ़ा की नीव पे मुहब्बत की दीवारें,,
आओ इक खूबसूरत घर बना लेते हैं
मुकेश इलाहाबादी -------------------
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