एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 3 October 2012
यूँ तो हम चहकते फिरते हैं गुलशन मे आदतन
यूँ तो हम चहकते फिरते हैं गुलशन मे आदतन
वो तो खामोश हो गए है तेरे अंदाज़े बयाँ देख कर
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------
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