एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 8 October 2012
बारिश में तुम आँचल फैला के रखना
बारिश में तुम आँचल फैला के रखना
कितना भी आवारा हो ये बादल अपना
तेरी जुल्फों और आँचल में गिर गिर के
मांगेगा पनाह,ये आवारा बादल अपना
मुकेश इलाहाबादी --------------------
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