एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
(Move to ...)
Home
▼
Thursday, 4 October 2012
ख्वाब मे वो तुमको ही उलटते पुलटते हैं !
ख्वाब मे वो तुमको ही उलटते पुलटते हैं !
तुम समझे कि वो सिर्फ करवट बदलते है !
मुकेश इलाहाबाबादी ------------------------
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment