एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
(Move to ...)
Home
▼
Monday, 19 November 2012
देखूं तेरा चेहरा तो सुबह होती है
देखूं तेरा चेहरा तो सुबह होती है
बंद करे है तू पलकें,शाम होती है
तेरे वस्ल में चलती हैं मेरी साँसे
तू नहीं तो जिंदगी तमाम होती है
मुकेश इलाहाबादी -------------
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment