एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
(Move to ...)
Home
▼
Monday, 28 January 2013
मुद्दतो पहले कभी ,,,,,,
मुद्दतो पहले कभी ,,,,,,
एहसास की कुछ बूंदे छलके थे उनकी आखों से
जिसकी नमी से आज तक मेरा वज़ूद भीगा है
मुकेश इलाहाबादी --------------------------------
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment