एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
(Move to ...)
Home
▼
Tuesday, 19 March 2013
मंजिल की कोई मुकम्मल सूरत ले के न चले थे
मंजिल की कोई मुकम्मल सूरत ले के न चले थे ,
ये अलग बात रुका वहीं जा के जहां तेरा घर था
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment