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Sunday, 3 March 2013

तू लाज़वाब है तेरा जवाब कंहा से ढूंढूं ?



 तू लाज़वाब है तेरा जवाब कंहा से ढूंढूं ?
अब तुझसे बेहतर शबाब कंहा से ढूँढू ?

चढ़  जाए  नशा तो उतरे न ताजिंदगी,
तेरी जैसी बेमिशाल शराब कंहा से ढूँढू ?

सहरा ऐ ईश्क में गुम हुआ समंदर मेरा
अब तिश्नगी के लिए आब कंहा से ढूँढू ?

मंज़र  देखने को आँखें नहीं  है  रौशन,,
तेरे लिए नया आफताब कंहा से ढूँढू ?

रात है, तन्हाई है , और दश्ते  तीरगी है
अब  रोशनी के लिए चाँद कंहा से ढूंढू ?

मुकेश इलाहाबादी -------------------------


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