गाँव गली को घूम के देखा
ताल तलइया डूब के देखा
ग़ज़ल रुबाई हो कि गीत
ता था थैया झूम के देखा
गुस्सा तेरा, प्यार भी देखा
फूल सा चेहरा चूम के देखा
अजब नशीली खुशबू जानी
तेरी काली जुल्फें चूम के देखा
हो परियों की शहजादी तुम
चाँद सितारों से पूछ के देखा
मुकेश इलाहाबादी -----------
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