एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Friday, 10 May 2013
ये तेरी अलसाई हुई आखें हैं या अधखिली कलियाँ
ये तेरी अलसाई हुई आखें हैं या अधखिली कलियाँ
अच्छा हुआ हम भौंरे न हुए वर्ना चूम लेता इन आखों को
मुकेश इलाहाबादी ------------------------------
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