एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Sunday, 5 May 2013
बिखरती हो लम्हा - लम्हा
बिखरती हो लम्हा - लम्हा तुम जिसकी यादों मे,,
समेटता भी तो वही है तुम्हे ले के अपनी बाहों मे
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------
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