एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Friday, 10 May 2013
मेरे होठो की हंसी से तुम क्या समझोगे
मेरे होठो की हंसी से तुम क्या समझोगे
रात हम कितना रो रो के आये हैं !!!!!!!
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
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