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Sunday, 9 March 2014

गौर से

गौर से
बिना फल
बिना पत्तियों के
सूखे पेड़ देखता हूँ
शायद इनमे
अपना प्रतिबिम्ब देखता हूँ

मुकेश इलाहाबादी -----------a

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