दोस्त दर्द ग़मे जुदाई का हम क्या जाने ?
तू तो मेरे साथ याद बन के आज भी है --
मुकेश जिस्म न सही रूह तो आज भी है
तू किसी न किसी रूप में साथ आज भी है
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------
तू तो मेरे साथ याद बन के आज भी है --
मुकेश जिस्म न सही रूह तो आज भी है
तू किसी न किसी रूप में साथ आज भी है
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------
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