मै लिखता हूँ प्यार
वो लिखता व्यापार
नदी किनारे वो बैठा
मै बैठा हूँ इस पार
छोड़ मुझे गैरों से वो
है करता आँखें चार
मै उसका कुछ नहीं
पर वह मेरा संसार
थोड़ा नखरीला सही
पर है तो मेरा प्यार
मुकेश इलाहाबादी --
वो लिखता व्यापार
नदी किनारे वो बैठा
मै बैठा हूँ इस पार
छोड़ मुझे गैरों से वो
है करता आँखें चार
मै उसका कुछ नहीं
पर वह मेरा संसार
थोड़ा नखरीला सही
पर है तो मेरा प्यार
मुकेश इलाहाबादी --
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