उदासियों से पहचान लेना
वही मेरा घर है जान लेना
ग़र कभी शक ओ शुबह हो
बेशक़ मेरा इम्तहान लेना
है रात बिस्तर बिछा गयी
चादर ग़म की तान लेना
जिस दिन भरोसा हो जाए
मुझको अपना मान लेना
मुकेश इलाहाबादी -------------
वही मेरा घर है जान लेना
ग़र कभी शक ओ शुबह हो
बेशक़ मेरा इम्तहान लेना
है रात बिस्तर बिछा गयी
चादर ग़म की तान लेना
जिस दिन भरोसा हो जाए
मुझको अपना मान लेना
मुकेश इलाहाबादी -------------
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