बादलों की राह चला हूँ
बुझाने मै प्यास चला हूँ
मासूम ज़िद्दी खूबसूरत
साथी के साथ चला हूँ
कोई साथ हो कि न हो
मै अपनी राह चला हूँ
मंज़िल ज़ेरे क़दम थी
मै सुबहो शाम चला हूँ
राह फ़क़ीरी में मुकेश
मै अपने आप चला हूँ
मुकेश इलाहाबादी ----
बुझाने मै प्यास चला हूँ
मासूम ज़िद्दी खूबसूरत
साथी के साथ चला हूँ
कोई साथ हो कि न हो
मै अपनी राह चला हूँ
मंज़िल ज़ेरे क़दम थी
मै सुबहो शाम चला हूँ
राह फ़क़ीरी में मुकेश
मै अपने आप चला हूँ
मुकेश इलाहाबादी ----
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