एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
(Move to ...)
Home
▼
Monday, 2 June 2014
हमने तो फ़क़त चंद लम्हे मांगे थे ज़िंदगी के
हमने तो फ़क़त चंद लम्हे मांगे थे ज़िंदगी के
ज़ालिम ने कातिलाना हंसी उछाल दी मेरी तरफ
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------------
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment