एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Friday, 6 June 2014
कभी ज़ुल्फ़ें , कभी अदाएं , तो कभी आँखें बोलती हैं
कभी ज़ुल्फ़ें , कभी अदाएं , तो कभी आँखें बोलती हैं
फिर भी ज़नाब कहते हैं हम तो कुछ बोलते ही नहीं
मुकेश इलाहाबाई ---------------------------------------
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