एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Tuesday, 26 August 2014
वो अफ़साना निगार
वो अफ़साना निगार बातों के महताब लाता रहा होगा
हम तो तुझे हूँ ब हूँ चाँद बनाने का हुनर रखते हैं दोस्त
मुकेश इलाहाबादी
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