एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 11 August 2014
तू मिल जाए तो पूरी है
तू मिल जाए तो पूरी है
ज़िंदगी वरना अधूरी है
दिल मिले तो ठीक,वर्ना
नज़दीकी भी इक दूरी है
आँखें व धड़कन बोले है
लब बोलें ये भी ज़रूरी है
कह तो दूँ दिल की बात
संकोच बड़ी मज़बूरी है
तेरे मेरे सावन के बीच
दो टकियां दी नौकरी है
मुकेश इलाहाबादी ----
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