एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Sunday, 31 August 2014
कोई झील नहीं, कुंआ नहीं, दरिया नहीं
कोई झील नहीं, कुंआ नहीं, दरिया नहीं
मेरी प्यास बुझे ऐसा कोई ज़रिया नहीं
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
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