आग सा दिन बर्फ सी रात है
बाकी तो ग़म की बरसात है
आये हो तो कुछ देर बैठो भी
अरसे बाद की मुलाक़ात है
मै तनहा सूरज तुम,चाँद हो
साथ में सितारों की बरात है
कुछ तुम कहो कुछ हम कहें
करना चाहो तो बहुत बात है
वक़्त के साथ तुम बदल गए
तुममे अब कंहाँ वो बात है ?
मुकेश इलाहाबादी -----------
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