एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 3 September 2014
ख्वाब तो हमने भी देखे थे मुस्कुराती सुबह की
ख्वाब तो हमने भी देखे थे मुस्कुराती सुबह की
ये और बात ग़म के बादलों ने आसमाँ ढक लिया
मुकेश इलाहाबादी ------------------------------------
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