मेरे काँधे पे धूप का दुशाला दे दे
सूरज मुझे थोड़ा सा उजाला दे दे
फ़क़त गुब्बारे के लिए रूठ जाऊं
फिर से वही बचपन दुबारा दे दे
मुकेश इलाहाबादी ---------------
सूरज मुझे थोड़ा सा उजाला दे दे
फ़क़त गुब्बारे के लिए रूठ जाऊं
फिर से वही बचपन दुबारा दे दे
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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