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Sunday, 14 December 2014

चॉद आवारा धूप बेईमान निकली

चॉद आवारा धूप बेईमान निकली
दिन तनहा रात सूनसान निकली
हमतो समझे ईश्क मे मौज होगी
मुहब्बत कठिन इम्तहान निकली
करता रहा हर किसी पे भरोसा,
सारी दुनिया ही बेईमान निकली
पूरे शहर में बाजार ही बाजार थे
मंदिर औ मस्जिद दुकान निकली
तुम्हारी हंसी औ ये मासूम अदाएं
मेरे लिये मौत का सामान निकली
मुकेश इलाहाबादी------------------

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