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Friday, 9 January 2015

मिलना चाहो तो रास्ते हैं

मिलना चाहो तो रास्ते हैं
वरना तो बहुत बहाने हैं
जानता हूँ इक मै ही नहीं
तुम्हारे हज़ारों दीवाने हैं
तुम रुसवाई से डरते हो
ये बात भी हम जानते हैं
राहे ज़िदंगी तनहा नहीं
मेरे संग चाँद सितारे हैं
इस शहर में मै नया नहीं
बहुत लोग मुझे जानते हैं
मुकेश इलाहाबादी -------

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