गौरैया
खुश थी
चोंच मे सतरंगी सपने लिये
आसमान मे उड रही थी
उधर गिद्ध भी खुश था
गौरैया को देखकर
उसने अपनी पैनी नजरे गडा
मासूम गौरैया पे
और दबोचना चाहा अपने खूनी पंजे मे
गौरैयाए, घबरा के भागी
पर कितना भाग पाती ??
आखिर गिद्ध के पंजे मे आ ही गयी
गौरैया फडफडा रही थी
रो रही थी
गिद्ध खुश था अपना शिकार पा के
कुछ देर बाद
गौरैया अपने नुचे और टूटे पंखों के साथ
लहूलुहान जमीं पे पडी थी
उसके सतरंगी सपने बिखरे पड़े थे
अभी भी
उपर,
नीले नही लाल आसमान मे
कुछ और गौरैया उड रही हैं
चोंच मे अपने सतरंगी सपने दबाये
जबकि कुछ और गिद्ध बेखौफ उड रहे हैं
अपना शिकार पाने के लिये
मुकेश इलाहाबादी ---------------
खुश थी
चोंच मे सतरंगी सपने लिये
आसमान मे उड रही थी
उधर गिद्ध भी खुश था
गौरैया को देखकर
उसने अपनी पैनी नजरे गडा
मासूम गौरैया पे
और दबोचना चाहा अपने खूनी पंजे मे
गौरैयाए, घबरा के भागी
पर कितना भाग पाती ??
आखिर गिद्ध के पंजे मे आ ही गयी
गौरैया फडफडा रही थी
रो रही थी
गिद्ध खुश था अपना शिकार पा के
कुछ देर बाद
गौरैया अपने नुचे और टूटे पंखों के साथ
लहूलुहान जमीं पे पडी थी
उसके सतरंगी सपने बिखरे पड़े थे
अभी भी
उपर,
नीले नही लाल आसमान मे
कुछ और गौरैया उड रही हैं
चोंच मे अपने सतरंगी सपने दबाये
जबकि कुछ और गिद्ध बेखौफ उड रहे हैं
अपना शिकार पाने के लिये
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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