जब भी कोई मेरे अंदर झांकता है
अँधेरा औ प्यासा कुआं दिखता है
है दिल मेरा उजड़ा हुआ गुलशन
जिसमे बदहवास माली रहता है
हूँ उजड़ी मीनार का टूटा गुम्बद
यहाँ पर सिर्फ कबूतर बोलता है
दस्तक देने वाले लौट जाओ तुम
यहाँ इक पागल दीवाना रहता है
मुकेश इक सूखा पहाड़ी झरना
जिसे बारिस का इंतज़ार रहता है
मुकेश इलाहाबादी --------------
अँधेरा औ प्यासा कुआं दिखता है
है दिल मेरा उजड़ा हुआ गुलशन
जिसमे बदहवास माली रहता है
हूँ उजड़ी मीनार का टूटा गुम्बद
यहाँ पर सिर्फ कबूतर बोलता है
दस्तक देने वाले लौट जाओ तुम
यहाँ इक पागल दीवाना रहता है
मुकेश इक सूखा पहाड़ी झरना
जिसे बारिस का इंतज़ार रहता है
मुकेश इलाहाबादी --------------
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