दिल के मोम थे, पथरीले हो गये
हम इतना टूटे कि, रेतीले हो गये
बातों मे मधुरता न मिलेगी,अब
ज़ुबान के भी ज़हरीले हो गये
आसानी से कुछ भी नहीं मिलता
हर बात के लिए, हठीले हो गये
बदन पे हमने कांटे उगा लिए हैं
छू के देखो कितने नुकीले हो गये
मुकेश तेरी आखों की मय पी कर
हम भी तेरी तरह नशीले हो गये
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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