एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
(Move to ...)
Home
▼
Tuesday, 28 July 2015
दर्दे ईश्क से बढ़ कर कोई दर्द नहीं होता
दर्दे ईश्क से बढ़ कर कोई दर्द नहीं होता
ये दर्द भी हर किसी को नसीब नहीं होता
यूँ तो फलक पे चमकते हैं हज़ारों सितारे
हर सितारा तो चाँद के क़रीब नहीं होता
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment