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Tuesday, 28 July 2015

दर्दे ईश्क से बढ़ कर कोई दर्द नहीं होता

दर्दे ईश्क से बढ़ कर कोई दर्द नहीं होता 
ये दर्द भी हर किसी को नसीब नहीं होता 
यूँ तो फलक पे चमकते हैं हज़ारों सितारे 
हर सितारा तो चाँद के क़रीब नहीं होता

मुकेश इलाहाबादी ------------------------

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