औरों की तरह
मैंने भी, तुमसे पूछा था
'क्या तुम मुझे प्यार करती हो ?'
तुम जवाब में
मुस्कुरा कर चुप रह गयी थी
पर
बाइक की पिछली सीट पर बैठ कर
मेरी कमीज पे तुमने
अपनी तर्जनी उंगली
से लिखा था "ईलू'
और उसे फिर तुमने अपनी ही
हथेली से मिटा दिया था
वही स्पर्श
वही हर्फ़
आज भी, महमहाता है
मेरी पीठ पर, रातरानी सा
(काश तुमने उसे लिख के न मिटाया होता )
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
जाती - जाति
मैंने भी, तुमसे पूछा था
'क्या तुम मुझे प्यार करती हो ?'
तुम जवाब में
मुस्कुरा कर चुप रह गयी थी
पर
बाइक की पिछली सीट पर बैठ कर
मेरी कमीज पे तुमने
अपनी तर्जनी उंगली
से लिखा था "ईलू'
और उसे फिर तुमने अपनी ही
हथेली से मिटा दिया था
वही स्पर्श
वही हर्फ़
आज भी, महमहाता है
मेरी पीठ पर, रातरानी सा
(काश तुमने उसे लिख के न मिटाया होता )
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
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