एहसासों की होली जला कर
चला गया मुझको रुला कर
लौट कर आएगा एक दिन
गया है, तसल्ली दिला कर
माना दिल उसका पत्थर
रहूंगा उसपे फूल खिलाकर
गर तू खुश रहना चाहे है ?
दर रोज़ मुझसे मिला कर
लोगों से सुना है मुकेश
खुश बहुत है मुझे भुला कर
मुकेश इलाहाबादी ------
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