ग़र हम तुम मिल पाएं तो
ख्वाब हकीकत हो जाएं तो
अपने सपनो की दुनिया हो
चंदा, गुलमोहर बरसायें तो
कल - कल बहती दरिया हो
हम तुम छप-छप नहाएं तो
सोचो कितना आनंद आएगा
तुम रूठो और हम मनाएं तो
तुम मेरे कंधे पे सिर रखे हो
तुमको प्रेम गीत सुनाएं तो
तेरे माथे की उलझी लट को
हौले - हौले हम सुलझाएं तो
मुकेश इलाहाबादी ------------
ख्वाब हकीकत हो जाएं तो
अपने सपनो की दुनिया हो
चंदा, गुलमोहर बरसायें तो
कल - कल बहती दरिया हो
हम तुम छप-छप नहाएं तो
सोचो कितना आनंद आएगा
तुम रूठो और हम मनाएं तो
तुम मेरे कंधे पे सिर रखे हो
तुमको प्रेम गीत सुनाएं तो
तेरे माथे की उलझी लट को
हौले - हौले हम सुलझाएं तो
मुकेश इलाहाबादी ------------
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