क्यूँ दिल तड़पता है उसी का हो जाने को ?
होता है नामुमकिन जिससे मिल पाने को
जिसको परवाह नहीं आपके जज़्बातों की
जी क्यूँ करे है उसीको दर्दोगम सुनाने को
जानता हूँ चाँद कभी ज़मी पे नहीं आयेगा
फिर भी दिल तड़पे है उसी का हो जाने को
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------
होता है नामुमकिन जिससे मिल पाने को
जिसको परवाह नहीं आपके जज़्बातों की
जी क्यूँ करे है उसीको दर्दोगम सुनाने को
जानता हूँ चाँद कभी ज़मी पे नहीं आयेगा
फिर भी दिल तड़पे है उसी का हो जाने को
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------
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