सारा आलम,
धुँआ - धुँआ हो जाये
इसके पहले
बचा लेना चाहता हूँ
थोड़ी से 'हवा'
पारदर्शी और स्वच्छ
जो बहुत ज़रूरी है
स्वांस लेने के लिए
ज़िंदा रहने के लिए
इसी तरह,
बचा लेना चाहता हूँ
नदियों और पोखरों में
थोड़ा ही सही,
पर स्वछ जल
थोड़ा सा आकाश (स्पेस)
थोड़ी सी आग (बगैर धुँआ)
मुकेश इलाहाबादी -------
धुँआ - धुँआ हो जाये
इसके पहले
बचा लेना चाहता हूँ
थोड़ी से 'हवा'
पारदर्शी और स्वच्छ
जो बहुत ज़रूरी है
स्वांस लेने के लिए
ज़िंदा रहने के लिए
इसी तरह,
बचा लेना चाहता हूँ
नदियों और पोखरों में
थोड़ा ही सही,
पर स्वछ जल
थोड़ा सा आकाश (स्पेस)
थोड़ी सी आग (बगैर धुँआ)
मुकेश इलाहाबादी -------
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